Monday 16 December 2019

गैस की समस्या के असली कारण

1. बैक्टीरिया - लहसुन, प्याज, बीन्स जैसे खाद्य पदार्थ हमारे शरीर में आवश्यक एवं हानिकारक बैक्टीरिया के बैलेंस को बिगाड़ते हैं। इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, अगर सेवन करना ही पड़े तो गैस-रोधी उपाय पहले से ही कर लें।

2. दूध के उत्पाद - जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ (दही को छोड़कर) ठीक तरह से पच नहीं पाते हैं और गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसलिए 45 की उम्र के पश्चात् डाइट में सिर्फ दही शामिल करें तथा अन्य दूध के उत्पादों का उपभोग कम कर देना चाहिए। 

3. कब्ज - पेट साफ ना होने पर टॉक्सिन्स हमारे शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसकी वजह से गैस की समस्या होती ही होती है। इससे निजात पाने के लिए हमें दिनभर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। हो सके तो एकदम ठंड़ा पानी बिलकुल ना पीएं तथा डाइट में फाइबर वाले फूड्स की मात्रा बढ़ाएं। 

4. एंटीबायोटिक्स - कुछ एंटीबायोटिक्स साइड इफेक्ट्स के रूप में हमारे शरीर के लाभकारी बैक्टीरियाज् को कम कर देते हैं जिससे हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है और गैस बनने लगती है। अगर एंटीबायोटिक्स लेने के बाद आपको गैस की समस्या महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श लेकर गैस्ट्रो-रिज़िस्टन्ट दवा का सेवन कर सकते हैं। 

5. जल्दी जल्दी में भोजना करना - जल्दी जल्दी भोजन करने से हम खाने को ठीक से चबा नहीं पाते हैं जिसके कारण गैस की समस्या होना स्वाभाविक है। भोजन को धीरे-धीरे आराम से चबाकर खाना चाहिए ताकि वह आसानी से पच सके तथा खाना खाते समय बातें न करें। 

6. एलर्जी - कुछ लोगों को ही इस तथ्य की जानकारी होती है कि एलर्जी होने की वजह से भी गैस बनती है। ज्यादातर केसेस् में ब्रेड, पिज्जा, मैदा से बने खाद्य पदार्थ, जंक फूड्स तथा बाहर के तले हुए खाने से ही एलर्जी होना पाई गई है। 

7. हार्मोनिक परिवर्तन - उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर में होने वाले हार्मोनिक परिवर्तन के कारण हमारा डाइजेशन खराब होना स्वाभाविक है, जिसके कारण गैस की समस्या आम बात होने लगती है। अतः उम्र बढ़ने के साथ संतुलित आहार लेना चाहिए और प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करना चाहिए। 

8. मांसाहार भोजन - मांसाहार भोजन को पचने में ज्यादा समय लगता है। अगर मांसाहार भोजन ठीक से ना पकाया जाए तो पाचन और भी धीमा पड़ जाता है। फलतः गैस विकार हो जाता है। रात में मांसाहार भोजन नहीं खाना चाहिए। अगर खाना ही पड़े तो अच्छे से पकाकर ही खाएं।

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Imperial Hospital & Research Centre, Shastri Nagar, Jaipur
+91-9351145050, 7568537996
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Monday 9 December 2019

थायराइड नहीं है लाईलाज

1. अश्वगंधा - यह थायराइड ग्रंथी से निकलने वाले हार्मोन्स को संतुलित करता है क्योंकि यह एंटीआक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। साथ ही यह हमानी प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है।

2. साबुत धनियाँ - दो चम्मच साबुत धनिये को रातभर दो गिलास पानी में भिगोकर, सुबह इसे पानी समेत कम आंच पर उबालें और आधा गिलास रह जाने पर इस पानी को छानकर गुनगुना करके पीएं।

3. प्याज की मालिश - सोने से पहले प्याज को दो टूकडों में काटकर थायराइड ग्रंथि के आस-पास घडी की दिशा में मालिश करें और गर्दन को धोने की बजाए रातभर के लिए ऐसे ही छोड दें।

4. गेहूं और ज्वार - यह साइनसए उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को भी प्रभावी रूप से कम करता है।

5. हल्दी वाला दूध - रोजाना हल्दी वाला दूध पीने से थायराइड नियंत्रण में रहता है। भूनी हुई हल्दी भी खाई जा सकती हैं।

6. अलसी - अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है जिसके कारण थायराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करती है। हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों को अलसी का सेवन जरूर करना चाहिए।

7. मुलेठी - मुलेठी के पाउडर एवं इसके पानी को पीने से थायराइड से होने वाली कमजोरी और थकान दूर हो जाती है। मुलेठी में ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड भी होता है जो ना केवल थायराइड की कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है बल्कि उन्हें बनने से भी रोकता है।

सावधानियां

1. बहुत ज्यादा ठंडे एवं खुष्क पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. नियमित रूप से योगा एवं घूमना चाहिए, साथ ही तनाव से दूर रहना चाहिए।
3. पालक, शकरकंदी, बंदगोभी, फूलगोभी, मूली, शलजम, मक्का, सोया, रेड-मीट तथा कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. बहुत ज्यादा मिर्च, मसालेदार, तैलीय तथा खट्टे पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. गेहूं, जौ, चने एवं दाल का आटा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
6. जो खाद्य पदार्थ मुश्किल से पचते हैं, उनका सेवन कम से कम करना चाहिए।
7. रिफाइनड तेल, नमक, मैदा व चीनी का प्रयोग बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए।

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Wednesday 20 November 2019

गुड़ सेवन के फ़ायदे

गुड़ का थोड़ी मात्रा में नियमित सेवन करने से हमें कई अद्भुद फ़ायदे होते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं-

1. माइग्रेन- प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में गुड़ का सेवन करते रहने से मन खुशनुमा बना रहता है और माइग्रेन की समस्या भी कम हो जाती है।

2. एनीमिया- एनीमिया का सबसे मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी होती है और गुड़ आयरन का बहुत ही बेहतरीन स्त्रोत है। इसलिए एनीमिया के मरीजों को रोज़ गुड़ का सेवन करना चाहिए।

3. थकान एवं कमजोरी- रोज़ गुड़ का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जिससे हमें थकान व कमजारी महसूस नहीं होती है।

4. ऐनोरैक्सिया- भूख ना लगने की समस्या (ऐनोरैक्सिया) में भी गुड़ का सेवन वरदान साबित होता है।रोज़ाना गुड़ खाने से हमारी पाचन क्रिया बेहतर होती चली जाती है और कुछ दिनों के बाद हमें खुलकर भूख लगने लगती है।

5. बेजान त्वचा- गुड़ रक्त में मौजूद हानिकारक टाॅक्सिन्स को बाहर कर रक्त की सफाई करता है जिससे हमारा रक्त संचार बेहतर होने लगता है। फलस्वरूप हमें मुंहासों की समस्या से निजात मिलती है और त्वचा में चमक आती है।

6. जोड़ों का दर्द- गुड़ को अदरक के साथ प्रतिदिन खाते रहने से जोड़ों के दर्द में काफ़ी आराम मिलता है।

7. गैस्ट्रीक- प्रतिदिन एक गिलास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से पेट में ठंड़क होती है और गैस्ट्रीक की समस्या में कमी आती है।

8. अस्थमा- गुड़ में एंटी-एलर्जिक तत्व होते हैं जो शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। इसलिए अस्थमा होने पर गुड़ का सेवन अति लाभकारी है।

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Wednesday 6 November 2019

याद्दाश्त तेज करने के सरल व सस्ते उपाय

अगर आप भी दैनिक जीवन में छोटी-छोटी चीज़ें भूलने की आदत से परेशान हैं तो ये बहुत ही सरल व सस्ते उपाय आपकी मदद कर सकते हैं -

1. दालचीनी - इसमें मौजूद सिनेमेल्डिहाइड अल्जाइमर से बचाने में मदद करते हैं। इसे सब्जी में डाले या चाय बनाकर पिएं।

2. काली मिर्च - इसमें पाइपेरिन होता है जो मेमोरी तेज करने में मदद करता है। सब्जी में काली मिर्च पाउडर डालें या इसकी चाय बनाकर पिएं।

3. धनिया - इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड्स दिमाग की ताकत बढ़ाने में मदद करते हैं। इसे सब्जी में मिलाएं या धनिये का पानी पिएं।

4. जायफल - इसमें मिरीसिस्टिसिन कंपाउंड होते हैं जिससे याद्दाश्त तेज होती है। इसे पीसकर सब्जी में डालें या दूध में मिलाकर पिएं।

5. तेजपत्ता - इसमें फाइटो-न्यूट्रिएंटस होते हैं जो अल्जाइमर के रिस्क को कम करने में मदद करते हैं। इसे सब्जी में मिलाएं।

6. चीनी - जो लोग नियमित रूप से अधिक चीनी का सेवन करते हैं उनमें कम चीनी खाने वालों की तुलना में याद्दाश्त कम होती है।

7. परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट - अतिरिक्त चीनी की तरह, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट, रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि करते हैं, जो लंबे समय के बाद आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

8. करक्यूमिन - करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह मस्तिष्क में एमलॉइड प्‍लाक्‍स को कम करता है जो क‍ि याद्दाश्त बढाने में मदद करता है।

9. कोको - कोको में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो स्मृति प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। 70% कोको के साथ डार्क चॉकलेट का सेवन करें ताकि आपको एंटीऑक्सिडेंट की उचित खुराक मिल सके।

10. मछली - मछली और मछली के तेल में ओमेगा 3 फैटी एसिड ईपीए और डीएचए भरपूर होता है। इनका सेवन करने से अल्पकालिक और एपिसोडिक मेमोरी को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

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Thursday 24 October 2019

शरीर में घुलता धीमा ज़हर

प्रतिदिन जाने-अनजाने हम कुछ-ना-कुछ ऐसा खा रहे हैं जो हमारे शरीर में धीमे ज़हर के रूप में घुलता जा रहा है और किसी-न-किसी तरह से हमारे शरीर को नुकसान पहुँचा रहे हैं। धीरे-धीरे जब इस तरह के आहार की मात्रा बढ़ती है तो वह कई बीमारियों को बढ़ावा देती है, इसलिए इस तरह के आहार को कम खाएँ या बिलकुल छोड़ दें। तो आइए जानते हैं किस तरह के आहार हैं जो हमारे लिए धीमा ज़हर हैं-

1. शक्‍कर- आधुनिक आहार में चीनी सबसे खतरनाक घटक है जो कि पोषण तत्वों-रहित कैलोरी प्रदान करती है और लंबे समय तक इसका सेवन करते रहने से हमारे मेटाबोलिज्‍म को नुकसान पहुँचता है। ज्‍यादा शक्‍कर खाने से मोटापा, मधुमेह टाइप-2, थकान, माइग्रेन, अस्थमा, हृदय रोग और रिकंल्स होते हैं। अमेरिकन हृदय एसोसिएशन के अनुसार पुरूषों द्वारा एक दिन में शक्कर से ग्रहण की जा सकने वाली कैलोरी का मानक स्तर अधिकतम 150 कैलोरी और स्त्रियों के लिए 100 कैलोरी होना चाहिए।

2. नमक- नमक एक खनिज है जो सामान्य रूप से जीवन के लिए आवश्यक है और मुख्य रूप से सोड़ियम क्लोराइड़ से बना होता है। जिस प्रकार शरीर को उचित कार्य के लिए सोड़ियम की सही मात्रा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार बहुत अधिक नमक का सेवन अस्वास्थ्यकर होता है। इससे उच्च रक्त-चाप, हृदय-रोग, कैंसर की संभावना बढ़ती है।

3. मैदा - इसमें फाइबर बिल्कुल नहीं होता है जो कि कब्ज की समस्या को बढ़ावा देता है। मैदा वाली चीज़ों से अपच होता है। इसमें ब्लीचिंग एजेंट्स होते हैं जिससे हार्ट प्राब्लम भी हो सकती है।

4. फास्ट फूड़ (जंक फूड़) - जंक फूड़ आजकल का बहुत लोकप्रिय फूड़ है। अधिकांश युवा पीढ़ी जंक फूड़ पर निर्भर हो रही है और यही फूड़ उन्हें कुपोषित कर रहा है क्योंकि इनमें मोनोसोड़ियम-ग्लूटामेट होता है, जिससे मोटापा तेजी से बढ़ता है। स्मरण शक्ति कम होती है, साथ ही हार्ट-प्राॅब्लम व अल्जाइमर की संभावना भी बढ़ती है।

5. कोल्ड़-ड्रिंक्स - अब जब हम जंक फूड़ खा ही रहे हैं तो साथ में कोल्ड़ ड्रिंक्स तो बनती ही है। परन्तु कोल्ड़-ड्रिंक्स में शक्कर और फोस्फोरिक-एसिड़ होता है, जिसके ज्यादा सेवन से हार्ट-प्राॅब्लम हो सकती है। साथ ही याद्दाश्त भी कमजोर होती है।

6. मशरूम - कच्चे मशरूम में कार्सिनो-जेनिक कंपाउड्स होते हैं जो कि कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। इसलिए मशरूम हमेशा उबालकर ही खाना चाहिए।

7. अंकुरित आलू - सामान्यतः बहुत दिनों तक आलू रखने पर वह अंकुरित हो जाते हैं। ऐसे आलू हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायी होते हैं, क्योंकि इनमें ग्लाइको-अल्केलाॅइड्स उत्पन्न हो जाते हैं, जिसके कारण ड़ायरिया, सिर-दर्द व माइग्रेन के चांस बढ़ते हैं।

Sunita Patel Ajmera
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Monday 7 October 2019

हानिकारक फूड़ काॅम्बिनेश्ंस

1. दूध के साथ फल: दूध की पाचन क्रिया अति जटिल होती है क्योंकि इसमें कैसिनौजिन नामक हाई-क्वालिटी प्रोटीन पाया जाता है, जबकि फल अपेक्षाकृत जल्दी पच जाते हैं। इसलिए दूध के साथ कोई भी फल नहीं खाना चाहिए, यहाँ तक कि फ्रूट-मिल्कशेक भी नहीं। इससे हमारा हाजमा खराब हो सकता है। दूध हमेशा विशुद्ध रूप में (किसी के साथ मिलाकर नहीं) पीने पर ही सबसे ज्यादा फायदा देता है। कुछ नाॅन-यीस्टी फूड़ जैसे काॅर्न-फ्लैक्स दूध के साथ ले सकते हैं।

2. दूध में ग्रीन-टी: ग्रीन-टी में फ्लेवोनाॅयड्स (कैटेचिन्स) पाया जाता है जो कि दिल की बिमारियों, कैंसर और स्ट्रोक की संभावना को कम करता है। लेकिन दूध के साथ ग्रीन-टी लेने पर ना तो दूध पूरा फायदा देता है और ना ही ग्रीन-टी। होता यह है कि दूध में पाए जाने वाला कैसीन प्रोटीन, ग्रीन-टी में पाए जाने वाले कैटेचिन्स की सघनता को कम कर देता है।

3. भोजन के बाद आइसक्रीम: भोजन के बाद जठराग्नि जागृत हो जाती है, जो कि भोजन को ठीक से पचाने के लिए अति-आवश्यक है। लेकिन भोजन के बाद आइसक्रीम खाने से या तो जठराग्नि जागृत नहीं हो पाती है या मंद पड़ जाती है, जिसके कारण खाना ठीक से नहीं पच पाता है।

4. फास्ट-फूड़ / स्नैक्स के साथ कोल्ड़ ड्रिंक्स: कोल्ड़-ड्रिंक्स (सोड़े वाला / कार्बोनेटेड़ ड्रिंक) अमाशय में भोजन को पचाने वाले एंजाइम्स को नष्ट करती हैं, जिससे हमारा हाजमा खराब हो जाता है। भोजन के बाद तथा फास्ट-फूड़ / स्नैक्स के साथ कोल्ड़ ड्रिंक्स पीने के कारण भोजन से प्राप्त पोषण हमारा शरीर अवशोषित नहीं कर पाता है।

5. भोजन के साथ या बाद में फल / सलादः सलाद / फल / राॅ-फूड़ में शर्करा व फाइबर्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जिन्हें पचने में ज्यादा समय नहीं लगता है। जबकि भोजन (कुक्ड़-फूड़) में फैट, प्रोटीन, स्टार्च व कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व होते हैं, जिन्हें पचने में अपेक्षाकृत ज्यादा समय लगता है। इस कारण भोजन के साथ या भोजन के बाद कोई भी फल / फ्रूट-चाट / सलाद खाने से FERMENTATION की क्रिया के कारण राॅ-फूड़ जल्दी पचकर हमारे अमाशय में ही सड़ने लगता हैं। फलस्वरूप अपच व गैस की समस्या हो सकती है। अतः राॅ-फूड़ हमेशा खाने के आधे घंटे पूर्व / पश्चात् ही खाना चाहिए।

6. दूध के साथ मांस, अंड़ा, मछली: अंड़े, मांस, मछली आदि में उपस्थित प्रोटिन अमाशय में पचता है जबकि दूध में मौजूद कैसिनौजिन प्रोटीन ड्यूड़ेनम (छाती व पेट के बीच का स्थान) में पचता है। यही कारण है कि जब हम दूध के साथ मांस, अंड़ा आदि खाते हैं तो अमाशय से शरीर के बाकि अंगों व ऊत्तकों के लिए होने वाला स्त्राव बाधित हो जाता है, जिसके कारण पाचन में दिक्कत आती है।

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Wednesday 18 September 2019

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के घरेलू तरीके

1. बादाम: रोजाना 8-10 बादाम भिगोकर खाने से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, बल्कि इससे दिमाग को तनाव से लडने की शक्ति भी मिलती है। विटामिन-ई शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले नैचुरल किलर कोशिकाओं को बढाने में मदद करता है, जो विषाणुओं और कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होती हैं। बादाम शरीर में बी-टाइप की कोशिकाओं की संख्या बढाने का भी काम करता है। ये कोशिकाएं एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं, जो शरीर में मौजूद नुकसानदेह बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होता है। बादाम में पाया जाने वाला विटमिन-ई त्वचा को स्वस्थ बनाने के साथ झुर्रियां पडने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है। साथ ही यह शरीर को कार्डियो-वैस्कुलर (हृदय और मांसपेशियों से संबंधित) बीमारियों से भी बचाता है।

2. संतरा: संतरा, नींबू, अनानास और चकोतरा जैसे खट्टे फलों में विटमिन-सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो हर तरह के संक्रमण से लडने वाली श्वेत रक्त-कोशिकाओं का निर्माण करने में सहायक होता है। इनके सेवन से बनने वाली एंटीबॉडीज कोशिकाओं की सतह पर एकआवरण बना देती हैं, जो शरीर के भीतर वायरस आने नहीं देता। इनमें मौजूद विटामिन-सी शरीर में एडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बढाता है, जिससे कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों से बचाव होता है और ब्लड-प्रेशर नियंत्रित रहता है। यह हृदय की धमनियों में वसा जमने की प्रक्रिया को धीमी कर देता है। चकोतरा में भी फ्लैवोनॉयड नामक नैचुरल केमिकल कम्‍पाउंड मौजूद होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करता है। इसलिए अपने रोजाना के भोजन में किसी न किसी खट्टे फल को जरूर शामिल करें।

3. लहसुन: लहसुन काफी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट बनाकर हमारे इम्यून सिस्टम को बीमारियों से लडने की शक्ति देता है। इसमें एलिसिन नामक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो शरीर को इन्फेक्शन और बैक्टीरिया से लडने की शक्ति देता है। प्रतिदिन भोजन में लहसुन का इस्तेमाल करने से पेट के अल्सर और कैंसर से बचाव होता है। रोजाना सुबह लहसुन की दो कलियों का सेवन हाई-ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखता है और इससे लंबे समय तक शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत बना रहता है।

4. पालक: पौष्टिक तत्वों से भरपूर इस पत्तेदार सब्जी को सुपर फूड के नाम से जाना जाता है। इसमें फोलेट नामक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो शरीर में नई कोशिकाएं बनाने के साथ उन कोशिकाओं में मौजूद डीएनए की मरम्मत का भी काम करता है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व और विटामिन-सी शरीर को हर तरह से स्वस्थ बनाए रखते हैं। उबले पालक के सेवन से पाचन तंत्र सही ढंग से काम करता है और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।

5. मशरूम: शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता की मजबूती के लिए सदियों से पूरी दुनिया में मशरूम का सेवन किया जाता रहा है। यह श्वेत रक्त कोशिकाओं को सक्रिय करने में सहायक होता है। इसमें सेलेनियम नामक मिनरल, एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व विटमिन-बी, रिबोफ्लैविन और नाइसिन नामक तत्व पाए जाते हैं। इनके कारण मशरूम में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ट्यूमर तत्व पाए जाते हैं। शिटाके, मिटाके और रेशी नामक मशरूम की प्रजातियों में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाले तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यदि प्रतिदिन 30 ग्राम मशरूम का सेवन किया जाए तो इससे इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहता है। सैलेड, सूप और पास्ता के साथ इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।

6. ब्रॉक्ली: ब्रॉक्ली में विटामिन-ए और सी के अलावा ग्लूटाथियोन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाली ऐसी सब्जी है, जिसे आप रोजमर्रा के भोजन में आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें थोडे से पीनर के साथ स्टीम्ड ब्रोकली मिलाकर स्वादिष्ट सैलड तैयार किया जा सकता है, जिसके सेवन से शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कैल्शियम भी मिल जाता है।

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Sunday 8 September 2019

भोजन भी तय करता है आपका मूड़

हम क्या खा रहें हैं, और कितना खा रहे हैं, यह सभी बातें हमारे मन व मस्तिष्क पर बहुत असर करती हैं। शायद आप यह नहीं जानते हैं कि हैल्दी डाइट से आपकी लाइफ हैप्पी हो सकती है। दुनियाभर के देशों में हुई अलग-अलग रिसर्च के बाद सामने आए कुछ दिलचस्प तथ्य और आंकड़े जो यह बताते हैं कि भोजन कैसे हमारे मूड़ को प्रभावित करता हैं :
  • 51 प्रतिशत लोगों पर लगातार जंक-फूड़ खाने से डिप्रेशन और तनाव का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • 43 प्रतिशत लोग इमोश्‍नल-इटिंग के कारण मोटापे से ग्रसित हो जाते हैं।
  • 30 प्रतिशत लोगों के दिमाग का सबसे प्रमुख हिस्सा ‘ग्रे-मैटर', ओमेगा-थ्री फैटी एसिड़ यानी डी.एच.ए. से मिलकर बना होता है। असंतुलित भोजन खाने ग्रे-मैटर में डी.एच.ए. का संतुलन बिगड़ जाता है।
  • 79 प्रतिशत किशोर जो फास्टफूड़ खाते हैं, उनका विकास ठीक ढंग से नहीं होता है और वे भविष्य की चुनौतियों के सामने जल्दी हताश-निराश हो जाते हैं।
  • 2 से 18 साल तक की उम्र के बच्‍चों व युवाओं को 40 प्रतिशत कैलोरी और शर्करा उस खाने से मिलती है जो वे दिनभर में खाते हैं। इसलिए खान-पान को सन्तुलित रखकर ही फिट रहा जा सकता है।
  • 51 प्रतिशत युवा जो प्रतिदिन जंक-फूड़ खाते हैं, वे इन खाद्य-पदार्थों को न खाने वालों की तुलना में जल्दी निराश और तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे लोग किसी भी काम को करने से पहले अपने आत्मविश्वास के कमजोर होने के कारण पीछे हट जाते हैं।
  • 50 प्रतिशत शहरों में रहने वाले लोग रोजाना की ऊर्जा की जररूत का एक बड़ा भाग छः प्रमुख स्त्रोतों से पाते हैं जो अनहैल्दी फूड़ की श्रेणी में आते हैं, जैसे सोड़ा, कोल्ड़-ड्रिंक्स, पिज्ज़ा, बर्गर, चाऊमिन, फ्राईज आदि।
  • 58 प्रतिशत लोग जो ट्रांसफैट्स और सैचुरेटेड़ फैट्स वाले प्रोसेस्ड़ फूड़ खाते हैं, उनकी सफलता की दर हैल्दी खाने वालों की तुलना में हमेशा कम होती है।
इन सभी तथ्‍यों को जानने के बाद हमें अब से सन्तुलित आहार व दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

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Thursday 29 August 2019

सेहतमंद बालों के लिए घरेलु नुस्खें

अधिकांश महिलाएं और लडकियाँ अपनी जुल्फें सवांरने के लिये हर महीने पार्लर में हेयर स्पा और अन्य हेयर थैरेपी या तरह-तरह के शैम्पू व कंडीशनर के लिये अच्छी खासी रकम खर्च करती हैं। इसके बावजूद परेशानियों से शत-प्रतिशत छुटकारा नहीं मिलता। इन सबके बजाय यदि घरेलू नुस्खों को अपनाएं तो निश्चित ही अपनी जुल्फों को सेहतमंद बनाया जा सकता हैः

1. आलू-रसः यह असरदार औषधि है। इसमें मौजूद एलीपेशिया बालों को घना बनाने में मददगार है। साथ ही इसमें विटामिन-ए, बी और सी पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जिनकी कमी से बाल रूखे व बेजान होते हैं।

2. प्याज का रसः यह बदबूदार है लेकिन बालों की संजीवनी है। इसमें सल्फर व एंटीआक्सीडेन्ट्स होते हैं जो कि बालों को बढ़ाने और उनकी रूसी व फंगल संक्रमण से निजात दिलाने में सहायक हैं।

3. सफेद-सिरकाः रूखेपन से निजात दिलाने, बालों का पी.एच. स्तर संतुलित रखने व पोषण देने में सिरका मदद करता हैं। एक कप पानी में 2 चम्मच सफेद सिरका और 6-7 बूंद हेयर-ऑयल मिलाएं। सिर धोने के बाद इसे बालों में लगाएं। 5 मिनट बाद पानी से सिर धो लें।

4. पारम्परिक चीज़ेंः मुलायम दमकते बालों के लिये पुराने समय से बालों के लिये मैथी-दाना, आंवला, रीठा, शिकाकाई जैसी कई औषधियों का उपयोग होता रहा है। इन्हें भिगोकर इनके पानी से सिर धो सकते हैं, या मेंहदी में मिलाकर भी लगाया जा सकता है।

5. बेर व नीम की पत्तियां: बेर की पत्तियों व नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर बालों में लगा लें व दो घंटे बाद बालों को धो लें। इसका एक माह तक प्रयोग करने से नए बाल उग आते हैं व बाल झडना बंद हो जाते हैं।

6. बड का दूध व नींबू का रसः बड के दूध में एक नींबू का रस मिलाकर सिर में आधे घंटे तक लगा रहने दें। फिर सिर को गुनगुने पानी से धो लें। इससे बालों का झडना बंद हो जाता है व बाल तेजी से बढते हैं।

7. गुडहल की पत्तियां: गुडहल की पत्तियां प्राकृतिक हेयर कंडीशनर का काम देती हैं और इससे बालों की मोटाई बढती है। बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। इससे बालों का झड़ना भी बंद होता है। सिर की त्वचा की अनेक कमियां इससे दूर होती है।

8. ग्लीसरीन, दही, सिरका, नारीयल का तेलः दो चम्मच ग्लीसरीन, 100 ग्राम दही, दो चम्मच सिरका, दो चम्मच नारियल का तेल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आधा घंटे तक बालों में लगाएं, फिर पानी से बालों को साफ करें।

9. खट्टा दहीः बालों में कुछ देर के लिए खट्टा दही लगाए, फिर गुनगुने पानी से बाल धो डालें। बाल एकदम मुलायम हो जाएंगे।

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Kutumbh Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
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Monday 29 July 2019

सौंफ के चमत्‍कार


  • सौंफ त्रिदोषनाशक है, इस की तासीर ठंडी है, पर यह जठराग्नि को मंद नहीं करती है।
  • आंखों की रोशनी को सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री का समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।
  • सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्के से गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस-कब्ज दूर होगी।
  • डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।
  • खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।
  • अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें।
  • आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भूूनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग करें। इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।
  • भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।
  • बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीस लें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद एक टी-स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  • दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से कफ की समस्या समाप्त होती है। सौंफ से अस्थमा और खांसी में आराम मिलता है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।
  • गुड के साथ सौंफ खाने से मासिक-धर्म नियमित होता है।
  • सौंफ को अंजीर के साथ खाएँ और खाँसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएँ।
  • गर्मियों में सौंफ को गला कर सेवन करने से ठंडक मिलती है। सौंफ के पाउडर को शक्कर के साथ बराबर मिलाकर सेवन करने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है।
  • यह शिशुओं के पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है। एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक के उपचार में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए।
  • जो लोग कब्ज से परेशान हैं, उनको आधा ग्राम गुलकन्द और सौंफ मिलाकर दूध के साथ रात में सोते समय लेना चाहिए। कब्ज दूर हो जाएगा।
  • इसे खाने से लीवर ठीक रहता है और पाचन क्रिया भी ठीक रहती है।
  • रोजाना सुबह-शाम सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है। अत: रोजाना दाल और सब्जी के तडके में सौंफ भी डाले।
  • यदि बार-बार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में 40 ग्राम सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भूनी फिटकरी मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें।

Sunita Patel Ajmera

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Thursday 25 July 2019

महिलाओं के लिए अति-आवश्‍यक

हर उम्र, कद और हर स्तर पर महिलाओं के लिए आवश्‍यक होता है कि उनका पोषक-स्तर अच्छा हो। फल, सब्ज़ियाँ, अनाज और सूखे मेवे से पर्याप्त पोषक-तत्व मिलते हैं। महिलाओं के लिए सबसे अच्छे सप्लीमेंट्स जिन्हें वह अपने आहार में शामिल कर सकती हैं, इस प्रकार हैं-
1. आयरनः इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हीमोग्लोबीन का स्तर भी बढ़ता है। अनाज, हरी-पत्‍तेदार सब्ज़ियाँ, चुकंदर, गाजर, टमाटर, अनार, राजमा, सोयाबीन, खजूर आदि खाद्य-पदार्थों में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
क्‍यों जरूरी है- इसके अभाव में एनीमिया (रक्तअल्पता) होने की आशंका होती है। इससे थकान, श्वास में अड़चन, सुस्ती रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है।
2. कै‍ल्श्यिम: इससे दांत और हड्ड़ियाँ मजबूत होती हैं। इसके कारण मांस-पेशियांं और रक्तवाहिनीयाँ सिकुड़ती-फैलती हैं। हार्माेंस का स्त्राव सही तरह से होता है, जो तंत्रिका-तंत्र तक संदेश भेजता है। दूध, चीज़, योगर्ट (दही), छाछ, हरी-पत्‍तेदार सब्ज़ियाँ व दूध से बनी चीज़ों में अधिक होता है।
क्यों जरूरी है- यह हड्ड़ियाँ मजबूत करने के लिए आवश्‍यक होता है। उम्रदराज लोगों के लिए अधिक फायदेमंद है। विषेश रूप से 45 की उम्र के बाद।
3. मैग्निश्यिम: मांसपेशियों को सामान्य रखते हुए तंत्रिका-तंत्र, धड़कन को सामान्य रखता है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को स्वस्थ रखता है। इससे ब्लड़-शुगर और ब्लड़-प्रैशर संतुलित रहता है। साथ ही हृदय रोग और मधुमेह में यह कारगर तरीके से काम करता है। यह हरी-पत्‍तेदार सब्जि़्याँ, फली वाली सब्ज़ियाँ, सूखे-मेवे, बिना रिफाइन किए हुये अनाज, साबूत दालें व अंकुरित अनाज से मिलता है।
क्यों जरूरी है- शरीर में 300 बायो-कैमिकल रिएशंस के लिए यह अनिवार्य है। इसके कम होने पर कई तकलीफें हो सकती हैं, जैसे उल्टियाँ, ड़ायरिया और माइग्रेन।
4. ओमेगा-3ः मस्तिष्क को ताकत प्रदान करता है। याद्दाश्‍त को सही बनाए रखने में सहायक है। साथ ही आपका व्यवहार संतुलित रखता है। हाई ब्लड़-प्रैशर तथा शरीर की जलन को कम करता है। अलसी में यह भरपूर मात्रा में मिल सकता है।
क्‍यों जरूरी है- शोध बताते है कि ओमेगा-3 मे मौजूद तत्व शरीर की जलन कम करने के साथ गंभीर रोग जैसे, हृदय रोग, कैंसर, गठिया आदि की समस्या समाप्त करते हैं।
Sunita Patel Ajmera
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Tuesday 23 July 2019

शरीर के संकेतों को पहचानें

गर्मी का तापमान शरीर को सीधे प्रभावित करता है, जिससे सबसे पहले शरीर में पानी की कमी महसूस होने लगती है, जो आपको कई संकेत देकर सचेत करता है। बस इन्हें समझें और शरीर को जरूरी मात्रा में पानी प्रदान करें-

1. थकानः बिना किसी शारीरिक श्रम के थकान महसूस हो तो समझ लीजिये कि आपको पानी की आवश्यकता है। पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से तरल पदार्थों की कमी होने लगती है। इस कारण हृदय को दिमाग तक ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्व पहुँचाने में समय लगता है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होती है तथा सिर में भारीपन व सिर दर्द होने लगता है। इन सब से बचने के लिये हर एक घंटे में एक गिलास पानी, नारियल-पानी, छाछ या ज्यूस लेते रहना चाहिये।


2. आँखों में सूजन व जलनः गर्मी के मौसम में अधिकांश लोग इस समस्या से गुजरते हैं। असल में होता यह है कि हमारी आँखों में ऊपर एक परत होती है जो आँखों को नमी प्रदान करती है। इस परत में शुष्कता पानी की कमी से हो जाती है, जिसके कारण आँखों में सूजन व जलन होती है। इसलिये हमें पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन भरपूर मात्रा में करते रहना चाहिये।

3. कब्जः गर्मी के मौसम में खान-पान पर भी प्रभाव पडता है। असन्तुलित आहार लेने से कब्ज की शिकायत भी बनी रहती है, शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होता है तो वह आहार को ठीक से हजम नहीं कर पाता। ऐसे में कब्ज की समस्या सामने आती है। इस समस्या से बचने के लिये प्रतिदिन कम से कम 7-8 गिलास पानी पीना जरूरी है। साथ ही आहार में घरिष्ठ व अधिक मिर्च मसालेदार खाना, तली हुई चीजें, बेकरी निर्मित पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिये। अपने खाने में तरल पदार्थों, जैसे छाछ, दही, दूध आदि को शामिल करें। फल व सलाद भी भरपूर मात्रा में लेते रहें।

4. शुष्क त्वचाः उचित मात्रा में पानी नहीं पीने से त्वचा शुष्क पडने लगती है, जिसकी वजह है - कोशिकाओं का सिकुडना। इसलिये त्वचा के मामले में भरपूर पानी पीना फायदेमंद साबित होता है।

5. गैस व एसीडिटीः गर्मी हो या सर्दी। यह एक सामान्य समस्या है। इससे निजात पाने के लिये पुदीना काफी लाभदायक होता है। पुदीने में पर्याप्त मात्रा में मैंथाॅल व पिपरमेंट तेल के अलावा विटामिन ए, बी, सी, डी, ई तथा आयरन मौजूद होता है। पुदीने के रस को पीने से कब्ज, अपच, उल्टी, पेटदर्द, गैस व एसीडीटी दूर होते हैं।

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Friday 19 July 2019

छोटी बातें, लेकिन बडे फायदे

  • दालचीनी का सेवन सर्दी-जुकाम, कफ तथा श्वास सम्बन्धी समस्याओं के लिये प्रभावी रूप से प्रयोग की जा सकती है।
  • गेहूँ के आटे में चना, सोयाबीन व कुछ मात्रा जौ की मिलाएं और उस आटे की रोटी बनाएँ। यह रोटी ऊर्जा और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्त्रोत होती है।
  • स्वास्थ्य के लिये सफेद चावल की अपेक्षा भूरे चावल अच्छे होते हैं। भूरे चावल ऊर्जा व रेशे के अच्छे साधन हैं। सफेद चावल की अपेक्षा भूरे चावल में कम कैलोरी होती है।
  • दही हमेशा कम वसा वाले दूध या टोंड दूध का बना ही लेना चाहिये। दही में उपस्थित जीवाणु पाचन शक्ति को ठीक रखते हैं। दही में कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन पाया जाता है।
  • मसूर दाल में फाॅलेट, फाइबर, विटामिन-बी, खनिज-लवण (आयरन) पाया जाता है। मसूर दाल हमारे शरीर के कई मुख्य कार्यो जैसे ब्लड-काॅलेस्ट्राल व ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में सहायक होती है।
  • पनीर में उच्च स्तर का प्रोटीन होता है, जो पचने में आसान होता है। साथ ही इसमें कैल्शियम भी होता है, जो दाँत व हड्डीयों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • एक गाजर से 200 प्रतिशत विटामिन-ए प्राप्त किया जा सकता है, जो रात के अन्धेपन को दूर करने में सहायक है। गाजर में वसा बिल्कुल नहीं होती है और इसमें कई तरह के फोटो न्यूट्रेन्ट भी होते हैं।
  • नारियल का पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिये क्योंकि यह जीवाणु रहित होता है और इसका पी.एच. लेवल भी उत्‍तम होता है।
  • हरी पत्‍तेदार सब्जियों में विटामिनस्, मिनरल्स् एवं सबसे मुख्य रूप से बीमारियों से लडने वाले फीटो-कैमिकल्स होते हैं। साथ ही इसमें वजन कम करने व वजन को मेनटेन करने वाले तत्व होते हैं क्योंकि ये भूख को नियंत्रित करते हैं।
  • फलों में भरपूर मात्रा में विटामिनस्, खनिज-लवण व रेशे होते हैं। अतः फलों का सेवन दिन में 3 या 4 बार करना चाहिये। फल 100 प्रतिशत बैड-काॅलेस्ट्राॅल रहित होता है व पानी की मात्रा भी अच्छी होती है। ताजा फलों का सेवन करने से विटामिनस् एवं मिनरल्स् आसानी से पच जाते हैं।

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Tuesday 16 July 2019

गर्मियों के राजा फल

गर्मियाँ शुरू होते ही हमें अधिक पसीना आना, प्यास अधिक लगना, जी घबराना, भूख नहीं लगना महसूस होता रहता है। कई बार अत्यधिक गर्मी से या लू लगने से दस्त व उल्टियाँ भी हो जाती है, जिससे हमारे शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में पानी अधिक पिएं, खाने में छाछ, दही, ज्यूस, नींबू पानी, नारियल पानी व फल जैसे विकल्पों का चयन करना चाहिये। ऐसी गर्मियों में फलों का चयन भी तरीके से करना चाहिये। आइए जाने गर्मियों में खाएं जाने वाले कुछ फलों के बारे मेंः

1. आम- गर्मियों में खाया जाने वाला प्रिय फल जिसे फलों का राजा भी कहा जाता है। इसमें कार्बन-डाइ-सल्फाइड, गैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड एवं विटामिन-ए और विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है। यह वात व पित्‍त रोगों में लाभदायक है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिये और इसके खाने के बाद पानी भी नहीं पीना चाहिये। जिन्हें आम खाने के बाद आफरा हो जाता है, उनको इसके खाने के बाद एक-दो ग्राम सोंठ का चूर्ण लेना चाहिये। मात्रा से अधिक आम खाने से अजीर्ण हो कर अन्य समस्याएँ हो सकती है। इनसे बचने के लिये हमेशा आम के साथ दूध का प्रयोग अवश्य करना चाहिये।

2. फालसा- आयुर्वेद में बुखार को दूर करने वाले और थकावट मिटाने वाले फलों में फालसा प्रमुख माना जाता है। इसमें साइट्रिक एसिड, शर्करा तथा कुछ विटामिन-सी भी पाया जाता है। यह वायु रोग, हृदय रोग, हिचकी, मन्दाग्नि, ज्वर, नकसीर, मुख-पाक व लू लगना जैसे रोगों में लाभदायक है। इसको अधिक मात्रा में खाने से आफरा आ सकता है।

3. लीची- यह दिल, दिमाग, और यकृत को शक्ति देती है। खून को साफ करने व खून का स्तर बढ़ाने में इसका महत्‍वपूर्ण स्थान है। इसमें प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, आयरन व विटामिन-बी काॅम्पलैक्स होता है। पाचन संस्थान को ठीक रखने में लीची सहायक है।

4. तरबूज़- तरबूज़ एक स्वादिष्ट तथा स्वास्थ्यप्रद फल है। इसमें प्रचुर मात्रा में जल होता है। साथ ही प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा व खनिज लवण होते हैं। गर्मियों में इसे लू से बचने के लिये अवश्य उपयोग में लेना चाहिये। इसका रस पथरी, मूत्र त्याग के समय जलन, अधिक प्यास लगने में लाभकारी है।

5. खरबूज़ा- यह ग्रीष्म ऋतु का अति उत्‍तम फल है। इसमें प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, विटामिन-बी व विटामिन-सी होते हैं। इसको खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिये, अन्यथा अतिसार या हैजा होने का खतरा रहता है।

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Friday 12 July 2019

दूध से जुड़े मिथक एवं तथ्य

मिथक 1. डेयरी उत्पादों का प्रयोग करने से वजन बढ़ता है।
तथ्यः हमारा वजन तब बढ़ता है, जब हम ली गई कैलोरी के बराबर एनर्जी खर्च नहीं करते। शोधों से साबित हुआ है कि कम वसा वाले डेयरी उत्पाद वजन घटाने में मदद करते हैं।

मिथक 2. दूध से दमा होता है।
तथ्यः हालांकि दूध से एलर्जी रखने वाले बच्चों में भविष्य में दमा की संभावना ज्यादा रहती है, लेकिन फिर भी इसका कहीं वैज्ञानिक आधार नहीं है कि डेयरी उत्पाद का प्रयोग करने से दमा हता है।

मिथक 3. डेयरी फूड से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तथ्यः जिस खाने में वसा की ज्यादा मात्रा होती है, उससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन डेयरी फूड से ऐसा होने के प्रमाण नहीं हैं। कुछ समय पहले शोध से यह भी साबित हुआ है कि ज्यादा वसा का भी दिल की बीमारी से संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी जिन लोगों को दिल की शिकायत है, वे डेयरी से कम वसा वाले फूड का चयन कर सकते हैं।

मिथक 4. अगर आप कैल्शियम वाले आहार लेते हैं तो आपको दूध की जरूरत नहीं है।
तथ्यः दूध से हमें केवल कैलश्यिम ही नहीं बल्कि प्रोटीन, विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-बी12 और मैग्निशियम जैसे तत्व भी मिलते हैं, इसलिए कैल्शियम वाले आहार दूध का विकल्प नहीं हैं।

मिथक 5. दूध पीने से गुर्दे में पथरी हो सकती है।
तथ्यः दरअसल दूध तो पथरी बनने से रोकता है। इसमें पाया जाने वाला कैल्शियम ऑक्सेलेट का निर्माण कर स्टोन बनने के खतरे को कम करता है।

मिथक 6. पनीर और उच्च वसा वाले डेयरी फूड से मुहांसे हो  जाते हैं।
तथ्यः विज्ञान में ऐसे प्रमाण कहीं नहीं मिले हैं कि पनीर और उच्च वसा वाले डेयरी फूड का मुहांसों से कोई संबंध है। दूध तो विटामिन-ए और विटामिन-डी का स्त्रोत है, जो त्वचा को खूबसूरत बनाए रखने में सहायक है।

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
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Wednesday 26 June 2019

शरीर के लिये आवश्यक पौष्टिक तत्व

शरीर को ठीक एवं स्वस्थ बनाये रखने के लिये आवश्यक होता है, सही व संतुलित खाना लेना। शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिये 18 पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती हैं, जिनमें से छः तत्व ऐसे हैं जो दवाईयों के जरिये शरीर को मिल सकते हैं। लेकिन बाकी बचे 12 पौष्टिक तत्व (आयरन, कैल्शियम, मिनरल्स, विटामिन-ए, फोलेट, बायोटिन, फाइबर, विटामिन-सी, ओमेगा-3 फैटी-ऐसिड, विटामिन-डी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट) केवल भोज्य पदार्थों से ही मिल सकते हैं। आइए जानते हैं ये पौष्टिक तत्‍व किन-किन भाेज्य पदार्थों से प्राप्‍त हो सकते हैं:

1. हरी सब्जियाँ- पत्‍तेदार हरी सब्जियाँ जैसे, पालक, मैथी, बथुआ, चैलाई और धनिया। ये पाँच सब्जियाँ जिनमें कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जैसे - फाइबर, आयरन, विटामिन, मिनरल, कैल्शियम आदि।

2. दालें- प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्निशियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-बी, फोलेट, थायमिन, आयरन, जिंक, विटामिन-ए व फाॅस्फोरस आदि। ये सभी पौष्टिक तत्व सभी तरह की दालें लेने पर आसानी से मिल जाते हैं।

3. टमाटर- इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी (ज्यादा मा़त्रा में), बी-काॅम्प्लैक्स, प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट व मैग्निशियम होता है। प्रतिदिन सलाद के रूप में 3 - 4 टमाटर लेने चाहिये।

4. सेब- ये मैजिकल फल है। इसमें विटामिन-सी, फोलेट, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर व विटामिन-ए जैसे महत्‍वपूर्ण तत्व होते हैं।

5. संतरा- ये विटामिन-सी का बहुत अच्छा साधन है। इसके अलावा इसमें विटामिन-ए, प्रोटीन, कैल्शियम व बी-काॅम्प्लैक्स भी थोडी मात्रा में पाये जाते हैं ।

6. पनीर व दूध- जो लोग मांस-मछली नहीं खाते हैं, उनके लिये पनीर, दूध और दूध से बने भोज्य पदार्थ बेहतरीन विकल्प हैं। इसमें कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट व विटामिन-डी जैसे तत्व हैं।

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Tuesday 18 June 2019

Guava Is Nectar (अमरूद अमृत है)

There are many food and drink options in winter, but when it comes to fruits, the king of this season is Guava. Due to the goodness of its taste and healthfulness, it is called Nectar-Fruit. There is four times more vitamin C than orange in it. The antioxidant and vitamin-C in guava increases the resistance of the body's immune system. Along with this, potassium reduces the effects of sodium in the body, which controls the body's blood pressure. Apart from these, Guava also contains iron, fiber, phosphorus. Guava plays helps in strengthening the digestive system and reducing the weight. Its use gives relief from problems such as thyroid, diabetes, heart disease, constipation, abdominal pain. It should never be peeled, because most part of its vitamins is found in its peel. There are some other benefits too, let us know about its other benefits:
(सर्दियों में खान-पान के कई विकल्प मौजूद है, पर जब बात फलों की आती है तो इस मौसम का बादशाह अमरूद ही है। स्वाद में लाजवाब व पौष्टिकता के कारण इसे अमृत-फल कहा गया है। अमरूद में संतरे के मुकाबले चार गुना अधिक विटामिन-सी होता है। इसमें पाये जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट व विटामिन-सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ-ही शरीर में पोटेशियम, सोडियम के प्रभाव को कम करता है जो कि शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। इनके अलावा अमरूद में आयरन, फाइबर, फाॅस्फोरस भी होता है। अमरूद वजन घटाने व पाचन-तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके प्रयोग से थाइराइड़, मधुमेह, हृदय रोग, कब्ज़, पेट दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इसे कभी छीलकर नहीं खाना चाहिये, क्योंकि इसके छिलके में ही सबसे ज्यादा विटामिन-सी पाया जाता है। इसके कुछ अन्य फायदे भी हैं, आइये जाने इसके अन्य फायदों के बारे मेंः)

1. Stomachache: Grind guava leaves and mix it with water to get relief from stomachache.
2. Eyes: Grinded guava leaves on eyes at sleeping time helps in relaxing eyes pain and eyeswelling on eyes.
3. Hemorrhoids: Regular intake of 200-300 gram guava empty stomach in the morning benefits in hemorrhoids.
4. Dry Cough: Roast guaua in sand and consume it for three times a day to get relief from dry cough and hooping cough.
5. Toothache: Chewing guava leaves provides relief from toothache.
6. Diarrhea: Boil guava leaves and drink this boiled water to get relief in diarrhea.
(1. पेट-दर्द के लियेः अमरूद की पत्तियाें को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
2. आँखों के लियेः अमरूद के पत्तियाें की लुग्धी बनाकर रात को सोते समय आँख पर बाँधने से आंखों का दर्द दूर होता है और सूजन हट जाती है।
3. बवासीर होने परः सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से खाने से लाभ होता है।
4. सूखी खाँसी मेंः गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी-खांसी, कफ और काली खाँसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
5. दाँतों का दर्दः अमरूद की पत्तियाें को चबाने से दाँतों का दर्द ठीक होता है।
6. दस्त मेंः अमरूद की पत्तियाँ उबालकर पीने से दस्त में आराम मिलता है।)

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Thursday 30 May 2019

Increase Winter's Sweetness (बढ़ाएँ सर्दियों की मिठास)

As the winter begins, changes in food and drink of each person begin. In winters, millet, sesame, peanut, dates and jaggery should be eaten apart from wheat. As these things are full of nutrients, but many people do not know about the nutrition of these nutritious substances, especially the healthfulness of jaggery. By the time, the use of jaggery has also started to fade. Now a days, sugar is being adulterated with jaggery to keep the sweetness of it. New generation prefers the unhealthy sweetness of sugar and toffees over jaggery. Jaggery has been described as beneficial for good health.
सर्दियाँ प्रारम्भ होते ही प्रत्येक व्यक्ति के खाने-पीने में बदलाव शुरू हो जाते हैं। सर्दियों में गेहूँ के अलावा मक्का, बाजरा, तिल, मुँगफली, खजूर तथा गुड़ को खाने में लेना चाहिये क्योंकि यह सभी चीज़ें पोषक तत्वों से भरपूर होती  हैं। किन्तु कई लोग इन पोषक पदार्थों के पोषण के बारे में नहीं जानते, विशेष-तौर पर गुड़ की मिठास को। बदलते जमाने के साथ गुड़ का प्रचलन भी फीका पड़ने लगा है। अब गुड़ की मिठास बरकरार रखने के लिये इसमें शक्कर भी मिलाई जाती है। नई पीढ़ी को गुड़ से ज्यादा टाॅफी की मिठास भाने लगी है। गुड़ को अच्छी सेहत के लिये काफी लाभदायक बताया गया है।

Eating jaggery with grams is very tasty and nutritious recipe to eat. According to dieticians, there is ample amount of iron in jaggery and protein in grams. Consumption of grams with jaggery completes the need of both elements (iron & protein). Being a good source of iron, jaggery shortens the body's weakness, helps in maintaining the level of hemoglobin and also makes the brain faster.
चने और गुड़ का बहुत स्‍वादष्ण हैं। आहार विशेषज्ञों के मुताबिक चने में प्रोटीन और गुड़ में पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है। इनके साथ सेवन से दोनों ही तत्वों की आवश्यकता पूरी होती है। गुड आयरन का अच्छा साधन होने के कारण शरीर की कमजोरी दूर करता है, हिमोग्लोबीन का स्तर बनाये रखने में मदद करता है, साथ ही दिमाग को भी तेज बनाता है।

Delicious laddus can be prepared using jaggery mixed with roasted wheat flour. Apart from this, jaggery is also used for preparing delicious and healthful recipes like gajak, rewri, sauce and jaggery's toffee. This traditional source of sweetness should not be lost in this storm of modernity, it is our job to take care of it. Make room for jaggery in your kitchen and use it in recipes to keep the family members healthy.
गुड़ को भूने हुए गेहूँ के आटे में मिलाकर स्वादिष्ट लड्डू भी बनायें जाते हैं। इसके अलावा गजक, रेवड़ी, चटनी, गुड़ की टाॅफी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने के लियें भी गुड़ उपयोग में लिया जाता है। मिठास का यह पारम्परिक स्त्रोत कहीं आधुनिकता की इस आंधी में खो ना जायें, इसका ध्यान रखना हमारा-आपका काम है। अपनी रसोई में गुड़ के लिये स्थान बनायें तथा परिवार के सदस्यों के स्वास्थय को ठीक रखने के लिये इसका प्रयोग करें।

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Kutumbh-Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
+91-9351145050, 7568537996

Tuesday 21 May 2019

Recuperative Bitter Gourd (सेहतमंद करेला)

(Bitter Gourd has medicinal properties which helps in getting rid of diabetes along with many other diseases. It contains a chemical called carotene which helps in minimizing the increase of blood sugar level. Bitter Gourd contains 4 gram carbohydrate, 15 gram protein, 20 mg calcium, 70 mg phosphorus, 18 mg iron and very little fat. It also contains vitamin A, vitamin C, flavourous volatile oil, carotene, glucoside, saponin and alkaloid:)
(करेला एक औषधीय फल है जो डायबिटीज़ के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी निजात दिलाने में फायदेमंद होता है। इसमें कैरोटीन नामक रसायन पाया जाता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ पाता है। एक करेले में 4 ग्राम कार्बोहाईड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फाॅस्फोरस, 18 मिलीग्राम आयरन और बहुत थोडी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ गंधयुक्त वाष्पशील तेल, कैरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन व एल्केलाइडिस पाए जाते हैः)

1. It is helpful in getting rid of fever, cough, skin diseases, anemia and stomach worms.
2. It keeps kidney and liver healthy as well as keeps blood clean.
3. It is cool in nature which is beneficial in blisters.
4. Intake Bitter Gourd juice mixed with lemon juice in the morning and evening to reduce the fat.
5. The patient suffering from kidney and bladder stones should drink 2 Bitter Gourd juice daily; also intake its vegetable. Kidney and bladder stone becomes exhausted with urination if we regularly consume it.
(1. करेला बुखार, खांसी, त्वचा के रोग, एनीमिया और पेट के कीडों से निजात दिलाने में मददगार होता है।
2. यह खून को साफ रखने के साथ-साथ किडनी और लीवर को भी स्वस्थ रखता है।
3. इसकी तासीर ठंडी होने के कारण फोडे फुंसियों में भी लाभदायक है।
4. करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर सुबह व शाम पीने से शरीर की चर्बी कम होती है।
5. गुर्दे या मूत्राशय की पथरी से पीडित रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और सब्जी खानी चाहिये। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।)

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Kutumbh-Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
+91-9351145050, 7568537996

Wednesday 15 May 2019

Prohibited After Meal (भोजन के बाद निषिद्ध)

Sometimes, after taking meal, intentionally or unintentionally, we do something which has a bad effect on our body and health. Let's learn to avoid and minimize the losses and harms as much as possible:
(भोजन करने के बाद हम कभी-कभी भूलकर कुछ ऐसे काम करते हैं जिससे हमारे शरीर पर और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आइये जाने इनके बारे में और इनसे होने वाली हानियों को और यथा संभव इनसे बचने का प्रयत्न करें:)

1. Do Not Drink Cold Water Immediately After Meal: Although drinking water after meal is harmful for health, but if necessary, then drink water with little temperature in between. Cool water should not be drunk at all. The body temperature becomes higher after taking meal, so if we drink cold water just after meal, it will harm our health. Humming or hot water is beneficial for the body, as bad toxins inside our body excrete through the urine path. Humming water keeps away from many diseases. We should drink water at least one hour after and before taking meal.
(1. भोजन के तुरन्त बाद ठंडा पानी न पीएं: वैसे तो भोजन के उपरांत पानी पीना स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है पर आवश्यकता पड़ने पर बीच में थोड़ा कम तापमान वाला पानी पी सकते हैं। ठंड़ा पानी तो बिलकुल नहीं पीना चाहिए क्योंकि खाना खाने के बाद शरीर का तापमान अधिक होता है। यदि हम ठंड़ा पानी पीएंगें तो वह हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुचाएँगा। शरीर के लिए वैसे गुनगुना या गर्म पानी ही लाभप्रद होता है। इससे हमारे शरीर के बुरे टाॅक्सिन पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं और हमें जाने अंजाने कितनी बीमारियों से दूर रखते हैं और पानी भोजन के 1 घंटेे बाद एवं पहले पीना चाहिए।)

2. Do Not Smoke After Meal: Most people smoke immediately after the meal, which is very harmful for health, because only one cigarette smoked just after meal causes harm equal to 10 cigarettes.
(2. भोजन के तुरंत बाद ध्रुमपान न करें: अधिकांश लोग भोजन खत्म करने के तुरन्त बाद सिगरेट सुलगा लेते हैं जो कि सेहत के लिए हानिकारक है क्योंकि खाने के बाद ली गई मात्र एक सिगरेट दिनभर की 10 सिगरेट के बराबर नुकसान पहुँचाती है।)

3. Do Not Eat Fruits Immediately After Food: it creates the problem of gastritis. The fruit should be taken at least after one hour of taking meal.
(3. भोजन के तुरंत बाद ना खाएँ फल: भोजन के तुरन्त बाद फल खाने से वायु बनती है। फल को भोजन करने से कम से कम एक घंटा पूर्व सेवन करना चाहिए।)

4. Do Not Drink Tea Immediately After Food: Tea is highly acidic in nature, which makes the protein present in the food harder and its digestion becomes difficult.
(4. भोजन के तुरन्त बाद चाय न पिएं: चाय की पत्ती में अमल की मात्रा अधिक होती है जिससे भोजन में उपस्थित प्रोटीन सख्त हो जाती है और उसका पाचन कठिन हो जाता है। अतः भोजन के पश्चात चाय का सेवन कदापि न करें।)

5. Do Not Sleep After Meal Immediately: Doing so damages our digestive system, also gastric problems arises. There must be a gap of at least two hours between dinner and sleeping. A little nap after day meal is considered good for health.
(5. भोजन के तुरन्त बाद सोना नहीं चाहिए: खाना खाने के तुरन्त बाद सोने से खाना सही ढंग से नहीं पचता है। तुरन्त सोने से गैस्ट्रिक समस्या पैदा होतीे है। रात्रि भोजन और सोने के बीच दो से तीन घंटे का अंतराल होना जरूरी है। दिन के खाने के बाद थोड़ी सी झपकी सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है।)

6. Do Not Take Bath After Meal Immediately: It increases blood flow to our limbs; at the same time the blood flow around the stomach decreases which harms our health and digestive system.
(6. भोजन के तुरंत बाद स्नान न करें: इससे हाथों, टांगों और शरीर में खून का प्रवाह बढ़ जाता है, और पेट के आस-पास का रक्त प्रवाह कम हो जाता है। जो हमारे स्वास्थ्य व पाचन तंत्र को हानि पहुँचाता है।)

Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Kutumbh-Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
+91-9351145050, 7568537996