Monday, 29 July 2019

सौंफ के चमत्‍कार


  • सौंफ त्रिदोषनाशक है, इस की तासीर ठंडी है, पर यह जठराग्नि को मंद नहीं करती है।
  • आंखों की रोशनी को सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री का समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।
  • सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्के से गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस-कब्ज दूर होगी।
  • डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।
  • खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।
  • अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें।
  • आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भूूनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग करें। इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।
  • भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।
  • बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीस लें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद एक टी-स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  • दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से कफ की समस्या समाप्त होती है। सौंफ से अस्थमा और खांसी में आराम मिलता है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।
  • गुड के साथ सौंफ खाने से मासिक-धर्म नियमित होता है।
  • सौंफ को अंजीर के साथ खाएँ और खाँसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएँ।
  • गर्मियों में सौंफ को गला कर सेवन करने से ठंडक मिलती है। सौंफ के पाउडर को शक्कर के साथ बराबर मिलाकर सेवन करने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है।
  • यह शिशुओं के पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है। एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक के उपचार में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए।
  • जो लोग कब्ज से परेशान हैं, उनको आधा ग्राम गुलकन्द और सौंफ मिलाकर दूध के साथ रात में सोते समय लेना चाहिए। कब्ज दूर हो जाएगा।
  • इसे खाने से लीवर ठीक रहता है और पाचन क्रिया भी ठीक रहती है।
  • रोजाना सुबह-शाम सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है। अत: रोजाना दाल और सब्जी के तडके में सौंफ भी डाले।
  • यदि बार-बार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में 40 ग्राम सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भूनी फिटकरी मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें।

Sunita Patel Ajmera

(Dietician / Nutritionist)
Food & Nutrition Department
Kutumbh Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
+91-9351145050, 7568537996
https://www.imperialhospitalindia.com 

Thursday, 25 July 2019

महिलाओं के लिए अति-आवश्‍यक

हर उम्र, कद और हर स्तर पर महिलाओं के लिए आवश्‍यक होता है कि उनका पोषक-स्तर अच्छा हो। फल, सब्ज़ियाँ, अनाज और सूखे मेवे से पर्याप्त पोषक-तत्व मिलते हैं। महिलाओं के लिए सबसे अच्छे सप्लीमेंट्स जिन्हें वह अपने आहार में शामिल कर सकती हैं, इस प्रकार हैं-
1. आयरनः इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हीमोग्लोबीन का स्तर भी बढ़ता है। अनाज, हरी-पत्‍तेदार सब्ज़ियाँ, चुकंदर, गाजर, टमाटर, अनार, राजमा, सोयाबीन, खजूर आदि खाद्य-पदार्थों में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
क्‍यों जरूरी है- इसके अभाव में एनीमिया (रक्तअल्पता) होने की आशंका होती है। इससे थकान, श्वास में अड़चन, सुस्ती रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है।
2. कै‍ल्श्यिम: इससे दांत और हड्ड़ियाँ मजबूत होती हैं। इसके कारण मांस-पेशियांं और रक्तवाहिनीयाँ सिकुड़ती-फैलती हैं। हार्माेंस का स्त्राव सही तरह से होता है, जो तंत्रिका-तंत्र तक संदेश भेजता है। दूध, चीज़, योगर्ट (दही), छाछ, हरी-पत्‍तेदार सब्ज़ियाँ व दूध से बनी चीज़ों में अधिक होता है।
क्यों जरूरी है- यह हड्ड़ियाँ मजबूत करने के लिए आवश्‍यक होता है। उम्रदराज लोगों के लिए अधिक फायदेमंद है। विषेश रूप से 45 की उम्र के बाद।
3. मैग्निश्यिम: मांसपेशियों को सामान्य रखते हुए तंत्रिका-तंत्र, धड़कन को सामान्य रखता है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को स्वस्थ रखता है। इससे ब्लड़-शुगर और ब्लड़-प्रैशर संतुलित रहता है। साथ ही हृदय रोग और मधुमेह में यह कारगर तरीके से काम करता है। यह हरी-पत्‍तेदार सब्जि़्याँ, फली वाली सब्ज़ियाँ, सूखे-मेवे, बिना रिफाइन किए हुये अनाज, साबूत दालें व अंकुरित अनाज से मिलता है।
क्यों जरूरी है- शरीर में 300 बायो-कैमिकल रिएशंस के लिए यह अनिवार्य है। इसके कम होने पर कई तकलीफें हो सकती हैं, जैसे उल्टियाँ, ड़ायरिया और माइग्रेन।
4. ओमेगा-3ः मस्तिष्क को ताकत प्रदान करता है। याद्दाश्‍त को सही बनाए रखने में सहायक है। साथ ही आपका व्यवहार संतुलित रखता है। हाई ब्लड़-प्रैशर तथा शरीर की जलन को कम करता है। अलसी में यह भरपूर मात्रा में मिल सकता है।
क्‍यों जरूरी है- शोध बताते है कि ओमेगा-3 मे मौजूद तत्व शरीर की जलन कम करने के साथ गंभीर रोग जैसे, हृदय रोग, कैंसर, गठिया आदि की समस्या समाप्त करते हैं।
Sunita Patel Ajmera
(Dietician / Nutritionist)
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Kutumbh Care Imperial Hospital, Shastri Nagar, Jaipur
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Tuesday, 23 July 2019

शरीर के संकेतों को पहचानें

गर्मी का तापमान शरीर को सीधे प्रभावित करता है, जिससे सबसे पहले शरीर में पानी की कमी महसूस होने लगती है, जो आपको कई संकेत देकर सचेत करता है। बस इन्हें समझें और शरीर को जरूरी मात्रा में पानी प्रदान करें-

1. थकानः बिना किसी शारीरिक श्रम के थकान महसूस हो तो समझ लीजिये कि आपको पानी की आवश्यकता है। पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से तरल पदार्थों की कमी होने लगती है। इस कारण हृदय को दिमाग तक ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्व पहुँचाने में समय लगता है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होती है तथा सिर में भारीपन व सिर दर्द होने लगता है। इन सब से बचने के लिये हर एक घंटे में एक गिलास पानी, नारियल-पानी, छाछ या ज्यूस लेते रहना चाहिये।


2. आँखों में सूजन व जलनः गर्मी के मौसम में अधिकांश लोग इस समस्या से गुजरते हैं। असल में होता यह है कि हमारी आँखों में ऊपर एक परत होती है जो आँखों को नमी प्रदान करती है। इस परत में शुष्कता पानी की कमी से हो जाती है, जिसके कारण आँखों में सूजन व जलन होती है। इसलिये हमें पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन भरपूर मात्रा में करते रहना चाहिये।

3. कब्जः गर्मी के मौसम में खान-पान पर भी प्रभाव पडता है। असन्तुलित आहार लेने से कब्ज की शिकायत भी बनी रहती है, शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होता है तो वह आहार को ठीक से हजम नहीं कर पाता। ऐसे में कब्ज की समस्या सामने आती है। इस समस्या से बचने के लिये प्रतिदिन कम से कम 7-8 गिलास पानी पीना जरूरी है। साथ ही आहार में घरिष्ठ व अधिक मिर्च मसालेदार खाना, तली हुई चीजें, बेकरी निर्मित पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिये। अपने खाने में तरल पदार्थों, जैसे छाछ, दही, दूध आदि को शामिल करें। फल व सलाद भी भरपूर मात्रा में लेते रहें।

4. शुष्क त्वचाः उचित मात्रा में पानी नहीं पीने से त्वचा शुष्क पडने लगती है, जिसकी वजह है - कोशिकाओं का सिकुडना। इसलिये त्वचा के मामले में भरपूर पानी पीना फायदेमंद साबित होता है।

5. गैस व एसीडिटीः गर्मी हो या सर्दी। यह एक सामान्य समस्या है। इससे निजात पाने के लिये पुदीना काफी लाभदायक होता है। पुदीने में पर्याप्त मात्रा में मैंथाॅल व पिपरमेंट तेल के अलावा विटामिन ए, बी, सी, डी, ई तथा आयरन मौजूद होता है। पुदीने के रस को पीने से कब्ज, अपच, उल्टी, पेटदर्द, गैस व एसीडीटी दूर होते हैं।

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Friday, 19 July 2019

छोटी बातें, लेकिन बडे फायदे

  • दालचीनी का सेवन सर्दी-जुकाम, कफ तथा श्वास सम्बन्धी समस्याओं के लिये प्रभावी रूप से प्रयोग की जा सकती है।
  • गेहूँ के आटे में चना, सोयाबीन व कुछ मात्रा जौ की मिलाएं और उस आटे की रोटी बनाएँ। यह रोटी ऊर्जा और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्त्रोत होती है।
  • स्वास्थ्य के लिये सफेद चावल की अपेक्षा भूरे चावल अच्छे होते हैं। भूरे चावल ऊर्जा व रेशे के अच्छे साधन हैं। सफेद चावल की अपेक्षा भूरे चावल में कम कैलोरी होती है।
  • दही हमेशा कम वसा वाले दूध या टोंड दूध का बना ही लेना चाहिये। दही में उपस्थित जीवाणु पाचन शक्ति को ठीक रखते हैं। दही में कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन पाया जाता है।
  • मसूर दाल में फाॅलेट, फाइबर, विटामिन-बी, खनिज-लवण (आयरन) पाया जाता है। मसूर दाल हमारे शरीर के कई मुख्य कार्यो जैसे ब्लड-काॅलेस्ट्राल व ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में सहायक होती है।
  • पनीर में उच्च स्तर का प्रोटीन होता है, जो पचने में आसान होता है। साथ ही इसमें कैल्शियम भी होता है, जो दाँत व हड्डीयों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • एक गाजर से 200 प्रतिशत विटामिन-ए प्राप्त किया जा सकता है, जो रात के अन्धेपन को दूर करने में सहायक है। गाजर में वसा बिल्कुल नहीं होती है और इसमें कई तरह के फोटो न्यूट्रेन्ट भी होते हैं।
  • नारियल का पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिये क्योंकि यह जीवाणु रहित होता है और इसका पी.एच. लेवल भी उत्‍तम होता है।
  • हरी पत्‍तेदार सब्जियों में विटामिनस्, मिनरल्स् एवं सबसे मुख्य रूप से बीमारियों से लडने वाले फीटो-कैमिकल्स होते हैं। साथ ही इसमें वजन कम करने व वजन को मेनटेन करने वाले तत्व होते हैं क्योंकि ये भूख को नियंत्रित करते हैं।
  • फलों में भरपूर मात्रा में विटामिनस्, खनिज-लवण व रेशे होते हैं। अतः फलों का सेवन दिन में 3 या 4 बार करना चाहिये। फल 100 प्रतिशत बैड-काॅलेस्ट्राॅल रहित होता है व पानी की मात्रा भी अच्छी होती है। ताजा फलों का सेवन करने से विटामिनस् एवं मिनरल्स् आसानी से पच जाते हैं।

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Tuesday, 16 July 2019

गर्मियों के राजा फल

गर्मियाँ शुरू होते ही हमें अधिक पसीना आना, प्यास अधिक लगना, जी घबराना, भूख नहीं लगना महसूस होता रहता है। कई बार अत्यधिक गर्मी से या लू लगने से दस्त व उल्टियाँ भी हो जाती है, जिससे हमारे शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में पानी अधिक पिएं, खाने में छाछ, दही, ज्यूस, नींबू पानी, नारियल पानी व फल जैसे विकल्पों का चयन करना चाहिये। ऐसी गर्मियों में फलों का चयन भी तरीके से करना चाहिये। आइए जाने गर्मियों में खाएं जाने वाले कुछ फलों के बारे मेंः

1. आम- गर्मियों में खाया जाने वाला प्रिय फल जिसे फलों का राजा भी कहा जाता है। इसमें कार्बन-डाइ-सल्फाइड, गैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड एवं विटामिन-ए और विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है। यह वात व पित्‍त रोगों में लाभदायक है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिये और इसके खाने के बाद पानी भी नहीं पीना चाहिये। जिन्हें आम खाने के बाद आफरा हो जाता है, उनको इसके खाने के बाद एक-दो ग्राम सोंठ का चूर्ण लेना चाहिये। मात्रा से अधिक आम खाने से अजीर्ण हो कर अन्य समस्याएँ हो सकती है। इनसे बचने के लिये हमेशा आम के साथ दूध का प्रयोग अवश्य करना चाहिये।

2. फालसा- आयुर्वेद में बुखार को दूर करने वाले और थकावट मिटाने वाले फलों में फालसा प्रमुख माना जाता है। इसमें साइट्रिक एसिड, शर्करा तथा कुछ विटामिन-सी भी पाया जाता है। यह वायु रोग, हृदय रोग, हिचकी, मन्दाग्नि, ज्वर, नकसीर, मुख-पाक व लू लगना जैसे रोगों में लाभदायक है। इसको अधिक मात्रा में खाने से आफरा आ सकता है।

3. लीची- यह दिल, दिमाग, और यकृत को शक्ति देती है। खून को साफ करने व खून का स्तर बढ़ाने में इसका महत्‍वपूर्ण स्थान है। इसमें प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, आयरन व विटामिन-बी काॅम्पलैक्स होता है। पाचन संस्थान को ठीक रखने में लीची सहायक है।

4. तरबूज़- तरबूज़ एक स्वादिष्ट तथा स्वास्थ्यप्रद फल है। इसमें प्रचुर मात्रा में जल होता है। साथ ही प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा व खनिज लवण होते हैं। गर्मियों में इसे लू से बचने के लिये अवश्य उपयोग में लेना चाहिये। इसका रस पथरी, मूत्र त्याग के समय जलन, अधिक प्यास लगने में लाभकारी है।

5. खरबूज़ा- यह ग्रीष्म ऋतु का अति उत्‍तम फल है। इसमें प्रोटिन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, विटामिन-बी व विटामिन-सी होते हैं। इसको खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिये, अन्यथा अतिसार या हैजा होने का खतरा रहता है।

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Friday, 12 July 2019

दूध से जुड़े मिथक एवं तथ्य

मिथक 1. डेयरी उत्पादों का प्रयोग करने से वजन बढ़ता है।
तथ्यः हमारा वजन तब बढ़ता है, जब हम ली गई कैलोरी के बराबर एनर्जी खर्च नहीं करते। शोधों से साबित हुआ है कि कम वसा वाले डेयरी उत्पाद वजन घटाने में मदद करते हैं।

मिथक 2. दूध से दमा होता है।
तथ्यः हालांकि दूध से एलर्जी रखने वाले बच्चों में भविष्य में दमा की संभावना ज्यादा रहती है, लेकिन फिर भी इसका कहीं वैज्ञानिक आधार नहीं है कि डेयरी उत्पाद का प्रयोग करने से दमा हता है।

मिथक 3. डेयरी फूड से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तथ्यः जिस खाने में वसा की ज्यादा मात्रा होती है, उससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन डेयरी फूड से ऐसा होने के प्रमाण नहीं हैं। कुछ समय पहले शोध से यह भी साबित हुआ है कि ज्यादा वसा का भी दिल की बीमारी से संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी जिन लोगों को दिल की शिकायत है, वे डेयरी से कम वसा वाले फूड का चयन कर सकते हैं।

मिथक 4. अगर आप कैल्शियम वाले आहार लेते हैं तो आपको दूध की जरूरत नहीं है।
तथ्यः दूध से हमें केवल कैलश्यिम ही नहीं बल्कि प्रोटीन, विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-बी12 और मैग्निशियम जैसे तत्व भी मिलते हैं, इसलिए कैल्शियम वाले आहार दूध का विकल्प नहीं हैं।

मिथक 5. दूध पीने से गुर्दे में पथरी हो सकती है।
तथ्यः दरअसल दूध तो पथरी बनने से रोकता है। इसमें पाया जाने वाला कैल्शियम ऑक्सेलेट का निर्माण कर स्टोन बनने के खतरे को कम करता है।

मिथक 6. पनीर और उच्च वसा वाले डेयरी फूड से मुहांसे हो  जाते हैं।
तथ्यः विज्ञान में ऐसे प्रमाण कहीं नहीं मिले हैं कि पनीर और उच्च वसा वाले डेयरी फूड का मुहांसों से कोई संबंध है। दूध तो विटामिन-ए और विटामिन-डी का स्त्रोत है, जो त्वचा को खूबसूरत बनाए रखने में सहायक है।

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